Monday, March 30, 2009

अर्ज किया है ....

"मेरे आसुंओपे मुस्कुरा
कई ख्वाब थे जो मचल गए ,
मेरे दिल के शीशमहलमें फिर
वो चिराग यादों के जल गए "


"सबकी बिगड़ी को बनाने निकले
यार हम तुम भी दीवाने निकले ?
उम्र यूँही बरबाद कर दी हसन;
ख्वाब क्यूँ इतने सुहाने निकले ? "


"हसने की चाह ने इतना हमें रुलाया है,
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है "


"शबे फुरकत का जागा हूँ फरिश्तों अब तो सोने दो
कभी फुरसत में कर लेना हिसाब, आहिस्ता आहिस्ता ।। "


"बेटी के कान में रही पीतल की बालियाँ ,
वो शख्स काम करता था सोने की खान में
सितारों के लौ से चरागों की लौ तक ,
बड़ी दूर तक घनी रात होगी ।। "


" मै हवा हूँ कहा वतन मेरा ?
दश्त मेरा चमन मेरा,
मेरी मय्यत पे कोई रोया है
इसलिए जल गया कफन मेरा "

' साया दीवार पे मेरा था
सदा किसकी थी ?
हाथ तो मैंने उठाये थे,
दूंवा किसकी थी ? ''

'कैसी चली है अब के हवा
तेरे शहर में ?
बंदे भी हो गए है खुदा
तेरे शहर में
शायद उन्हें पता था,
कातिल है अजनबी
लोगों ने उसे लुट लिया,
तेरे शहर में ।। "

"माँ की कोख से कब्र का रास्ता दूर नहीं
पर चलते चलते ज़माना निकल जाता है "

"दिल खामोश है पर किसी का दिल तो जलता है
चले आओं जहाँ तक रोशनी महसूस होती है "


"कही नजर लग जाए उनके दस्तबाजू को ,
ये लोग क्यूँ मेरे जख्मे जिगर को देखते है "


" दोनों जहाँ तेरी मुहब्बत में हार के ,
वो जा रहा है कोई शबे गम गुजार के
॥ "

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