"मेरे आसुंओपे न मुस्कुरा
कई ख्वाब थे जो मचल गए ,
मेरे दिल के शीशमहलमें फिर
वो चिराग यादों के जल गए । "
"सबकी बिगड़ी को बनाने निकले
यार हम तुम भी दीवाने निकले ?
उम्र यूँही बरबाद कर दी हसन;
ख्वाब क्यूँ इतने सुहाने निकले ? "
"हसने की चाह ने इतना हमें रुलाया है,
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है । "
"शबे फुरकत का जागा हूँ फरिश्तों अब तो सोने दो ।
कभी फुरसत में कर लेना हिसाब, आहिस्ता आहिस्ता ।। "
"बेटी के कान में रही पीतल की बालियाँ ,
वो शख्स काम करता था सोने की खान में ।
सितारों के लौ से चरागों की लौ तक ,
बड़ी दूर तक घनी रात होगी ।। "
" मै हवा हूँ कहा वतन मेरा ?
न दश्त मेरा न चमन मेरा,
मेरी मय्यत पे कोई रोया है
इसलिए जल गया कफन मेरा । "
' साया दीवार पे मेरा था
सदा किसकी थी ?
हाथ तो मैंने उठाये थे,
दूंवा किसकी थी ? ''
'कैसी चली है अब के हवा
तेरे शहर में ?
बंदे भी हो गए है खुदा
तेरे शहर में ।
शायद उन्हें पता था,
कातिल है अजनबी ।
लोगों ने उसे लुट लिया,
तेरे शहर में ।। "
"माँ की कोख से कब्र का रास्ता दूर नहीं ।
पर चलते चलते ज़माना निकल जाता है ॥ "
"दिल खामोश है पर किसी का दिल तो जलता है ।
चले आओं जहाँ तक रोशनी महसूस होती है ॥ "
"कही नजर न लग जाए उनके दस्तबाजू को ,
ये लोग क्यूँ मेरे जख्मे जिगर को देखते है ॥ "
" दोनों जहाँ तेरी मुहब्बत में हार के ,
वो जा रहा है कोई शबे गम गुजार के ॥ "
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