"मेरे आसुंओपे न मुस्कुरा
कई ख्वाब थे जो मचल गए ,
मेरे दिल के शीशमहलमें फिर
वो चिराग यादों के जल गए । "
"सबकी बिगड़ी को बनाने निकले
यार हम तुम भी दीवाने निकले ?
उम्र यूँही बरबाद कर दी हसन;
ख्वाब क्यूँ इतने सुहाने निकले ? "
"हसने की चाह ने इतना हमें रुलाया है,
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है । "
"शबे फुरकत का जागा हूँ फरिश्तों अब तो सोने दो ।
कभी फुरसत में कर लेना हिसाब, आहिस्ता आहिस्ता ।। "
"बेटी के कान में रही पीतल की बालियाँ ,
वो शख्स काम करता था सोने की खान में ।
सितारों के लौ से चरागों की लौ तक ,
बड़ी दूर तक घनी रात होगी ।। "
" मै हवा हूँ कहा वतन मेरा ?
न दश्त मेरा न चमन मेरा,
मेरी मय्यत पे कोई रोया है
इसलिए जल गया कफन मेरा । "
' साया दीवार पे मेरा था
सदा किसकी थी ?
हाथ तो मैंने उठाये थे,
दूंवा किसकी थी ? ''
'कैसी चली है अब के हवा
तेरे शहर में ?
बंदे भी हो गए है खुदा
तेरे शहर में ।
शायद उन्हें पता था,
कातिल है अजनबी ।
लोगों ने उसे लुट लिया,
तेरे शहर में ।। "
"माँ की कोख से कब्र का रास्ता दूर नहीं ।
पर चलते चलते ज़माना निकल जाता है ॥ "
"दिल खामोश है पर किसी का दिल तो जलता है ।
चले आओं जहाँ तक रोशनी महसूस होती है ॥ "
"कही नजर न लग जाए उनके दस्तबाजू को ,
ये लोग क्यूँ मेरे जख्मे जिगर को देखते है ॥ "
" दोनों जहाँ तेरी मुहब्बत में हार के ,
वो जा रहा है कोई शबे गम गुजार के ॥ "
Monday, March 30, 2009
Saturday, March 28, 2009
प्यार
मै नही कर सकती तुमसे प्यार
ऐ मेरे तलबगार।
कह चुका है मेरा दिल तुमसे
यह न जाने कई बार ।
रोक दे अपने ख़यालों को
मेरे करीब आने से,
क्या मिलेगा तुझे
इस तरह अपना दिल जलाने से ?
फिर भी अगर तू करना चाहता है मुझसे प्यार,
क्यों की बस नही तुम्हारा तुम पर
तो कुछ ऐसा कर ऐ मेरे दीवाने,
के फक्र हो मुझे ख़ुद पर ।
ऐ मेरे तलबगार।
कह चुका है मेरा दिल तुमसे
यह न जाने कई बार ।
रोक दे अपने ख़यालों को
मेरे करीब आने से,
क्या मिलेगा तुझे
इस तरह अपना दिल जलाने से ?
फिर भी अगर तू करना चाहता है मुझसे प्यार,
क्यों की बस नही तुम्हारा तुम पर
तो कुछ ऐसा कर ऐ मेरे दीवाने,
के फक्र हो मुझे ख़ुद पर ।
Thursday, March 26, 2009
Waterfall At Bhandardhara !!!
Sunset From Matheran !
Neckless Vally At Bhandardhara !
Bhandardhara Lake !
Sunset From Matheran !
Neckless Vally At Bhandardhara !
Bhandardhara Lake !
Bhandardhara Lake!
लेबले:
Bhandardhara,
भटकंती,
भंडारधरा,
महाराष्ट्र
Saturday, March 21, 2009
शेरो शायरी ....
"सरमें सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकीन इस तर्के मुहब्बत का भरोसा भी नहीं
मुद्दते गुज़री तेरी याद भी न आई हमें
और हम भूल गए हो तुझे ऐसा भी नहीं ...."
" मै तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने करीब पाता हूँ
कौन ये फासिला निभाएगा
मै फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ "
"जान दी , दी हुई उसकी थी
हक़ तो यह है की हक़ अदा न हुआ "
" यारों किसी कातिल से कभी प्यार न मांगो,
अपने ही गले के लिए तलवार न मांगो "
"मरीजे मोहब्बत उन्हीका फ़साना
सुनाता रहा दम निकलते निकलते
मगर जिक्र शाम आलम जब की आया
चरागे सहर बुझ गया जलते जलते ...."
" एक बस तूही नहीं मुझसे खफा हो बैठा ,
जो संग मैंने तराशा था वो खुदा हो बैठा "
" पड़ते है सूरते नक्शे कदम
न छेडो हमें;
हम और भी मिल जायेंगे
खांक में उठा लेने से । "
" जाते है शाख शाख को
देते हुए दुवां
आंधी से बच गए तो
इसी रुत में आएँगे । "
"तड़पते हुए दिल की सदा
कोई सुने या ना सुने,
अपना तो काम है की
बस पुकारते रहे ।"
"हजारों ख्वाईशें ऐसी की, हर ख्वाईश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमांन लेकीन फ़िर भी कम निकले । "
" जिंदगी एक हादसा है, और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं " ।
"बदनाम हुए शहर में जिसकी वजह से फरझ,
उस शख्स को कभी हमने जी भर के देखा तक नहीं । "
लेकीन इस तर्के मुहब्बत का भरोसा भी नहीं
मुद्दते गुज़री तेरी याद भी न आई हमें
और हम भूल गए हो तुझे ऐसा भी नहीं ...."
" मै तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने करीब पाता हूँ
कौन ये फासिला निभाएगा
मै फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ "
"जान दी , दी हुई उसकी थी
हक़ तो यह है की हक़ अदा न हुआ "
" यारों किसी कातिल से कभी प्यार न मांगो,
अपने ही गले के लिए तलवार न मांगो "
"मरीजे मोहब्बत उन्हीका फ़साना
सुनाता रहा दम निकलते निकलते
मगर जिक्र शाम आलम जब की आया
चरागे सहर बुझ गया जलते जलते ...."
" एक बस तूही नहीं मुझसे खफा हो बैठा ,
जो संग मैंने तराशा था वो खुदा हो बैठा "
" पड़ते है सूरते नक्शे कदम
न छेडो हमें;
हम और भी मिल जायेंगे
खांक में उठा लेने से । "
" जाते है शाख शाख को
देते हुए दुवां
आंधी से बच गए तो
इसी रुत में आएँगे । "
"तड़पते हुए दिल की सदा
कोई सुने या ना सुने,
अपना तो काम है की
बस पुकारते रहे ।"
"हजारों ख्वाईशें ऐसी की, हर ख्वाईश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमांन लेकीन फ़िर भी कम निकले । "
" जिंदगी एक हादसा है, और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं " ।
"बदनाम हुए शहर में जिसकी वजह से फरझ,
उस शख्स को कभी हमने जी भर के देखा तक नहीं । "
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